Rahat Indori Ghazal | राहत इंदौरी की ग़ज़लें

राहत इंदौरी शायरी की दुनिया में एक ऐसा नाम हैं जिनकी ग़ज़लें (Rahat Indori Ghazal) हर दिल में जगह बना चुकी हैं। अगर आप Famous Rahat Indori Ghazal, Best Ghazal of Rahat Indori, या Rahat Indori Ghazal in Hindi ढूंढ रहे हैं, तो उनके अशआर आपको मोहब्बत, दर्द और बगावत की गहराई में ले जाएंगे। उनकी हर एक लाइन में सच्चाई और जज़्बातों का ऐसा मेल है जो सीधे दिल को छू जाता है। चाहे आप Rahat Indori Ghazal in Urdu सुनना चाहें या Rahat Indori Ghazal Lyrics in Hindi पढ़ना, हर अंदाज़ बेमिसाल है।

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राहत इंदौरी की बेहतरीन ग़ज़लें

जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है,
समंदर में मुफ़ीद हवा चलाती है।
यह जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आए,
हम वो नहीं हैं जिन्हें रास्ता चलाता है।
बुलाती है मगर जाने का नहीं,
यह दुनिया है इधर जाने का नहीं।
मेरी बर्बादी के चर्चे अब ज़बानों पर हैं,
पर मैं ही जानता हूँ कि ये बात सच्ची नहीं।
दोस्ती जब किसी से की जाए,
दुश्मनों की भी राय ली जाए।
बस यही सोचकर अब दोस्तों से,
कुछ ज़्यादा ही फासला रख लिया है।
आँख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो,
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।
राह के पत्थरों से न हार मानो कभी,
हौंसले अपनी झोली में तैयार रखो।
ख्याल था कि ये पत्थराव रोक देंगे चलकर,
जो होश आया तो देखा लहू-लहू हम थे।
हर एक वार पे सोचा कि रुक जाएँ शायद,
मगर जज़्बात कह रहे थे… लड़ते रहो।
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएँ।
मैं समंदर से भी टकरा जाऊँ अगर चाहूँ,
मेरे इरादों की ऊँचाई से सब डर जाएँ।
सब के हिस्से में कहाँ आते हैं चाहने वाले,
कुछ लोग दुनिया में किस्मत से मिला करते हैं।
हर किसी की ज़िन्दगी में खुशी नहीं होती,
कुछ को तो ग़म के मौसम भी सिला करते हैं।
अब ख़ौफ़ खा रहा है अंधेरा मेरे क़दमों से,
क्योंकि मैंने चिराग़ों से दोस्ती कर ली है।
हर रात को जीतकर आया हूँ मैं,
अब तो ख़्वाब भी मेरी इजाज़त से आते हैं।
मैं मर जाऊँ तो मुझे कोई जलाना मत,
मेरे शब्दों में धुआँ बहुत है।
मेरी शायरी ही मेरी राख होगी,
क्योंकि हर मिसरे में आग बहुत है।
जो ज़िंदगी से लड़ा हो उसी से पूछो,
हर एक सांस कितनी भारी लगती है।
लोग कहते हैं मुझसे मैं मुस्कराता बहुत हूँ,
पर सच्चाई ये है… मैं रोता बहुत हूँ।
जो लोग ख़ुद को ज़्यादा समझदार मानते हैं,
अकसर वही लोग सबसे बड़े बेवकूफ़ निकलते हैं।
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है,
जो चाहता है, यहाँ वही रहेगा।
मोहब्बत और नफरत का कोई मोल नहीं,
ये वो जज़्बात हैं जो बस दिल से निकलते हैं।
ग़ज़ल कहने का अंदाज़ है अलग मेरा,
मैं सच बोलता हूँ इसलिए लोग चौंकते हैं।
हमने भी अपनी आँखों में
कई ख्वाब सजाए हैं,
मगर अफ़सोस कि उन पर
किसी और का नाम लिखा है।
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।
तमाशा कर रहा था वो मेरी बर्बादी का,
मैंने भी तालियां बजा दी उसकी कामयाबी पर।
हौसला रखना मंज़िल मिलेगी,
रास्तों की फिक्र में सफर नहीं रुकते।
कोई चाह कर भी मुझे हरा नहीं सकता,
मेरी हार सिर्फ़ मेरी खुद की मर्जी से होती है।
क़त्ल करना है तो खुलेआम कर मुझे,
छुपकर वार करने वालों से मैं डरता नहीं।

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