Gulzar Shayari | गुलज़ार शायरी

गुलज़ार, जिनका जन्म संपूरण सिंह कालरा के नाम से हुआ था, एक प्रसिद्ध कवि, गीतकार और फिल्म निर्माता हैं जिनकी कृतियाँ भारतीय साहित्य और सिनेमा पर गहरी छाप छोड़ चुकी हैं। उनकी शायरी (Gulzar Shayari), जिसे अक्सर “Shayari Gulzar” कहा जाता है, अपनी गहराई, भावनात्मक असर और पारंपरिक और आधुनिक विचारों के सुंदर मिश्रण के लिए जानी जाती है। यदि आप गुलज़ार के काम से परिचित नहीं हैं या जानना चाहते हैं कि उनकी शायरी क्यों खास है, तो यहाँ उनकी शायरी के उद्देश्य, महत्व और उसकी खासियत की सरल चर्चा की गई है।

The Heart of Gulzar’s Poetry

गुलज़ार साहब की शायरी (Gulzar Sahab ki Shayari) में गहरी भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। उनकी कविताएँ अक्सर प्रेम, हानि, तड़प और जीवन के अनुभवों को छूने वाली होती हैं। वे सरल और प्रभावशाली भाषा का उपयोग करते हैं, जिससे उनकी कविता हर किसी के लिए समझने योग्य होती है और आत्ममंथन को प्रोत्साहित करती है।

Purpose of Gulzar’s poetry

    • भावनाओं की अभिव्यक्ति: गुलज़ार साहब शायरी (Gulzar Sahab Shayari) का मुख्य उद्देश्य उन जटिल भावनाओं को व्यक्त करना है जो लोग महसूस करते हैं। चाहे वह प्रेम की हानि हो, सुखद पल की खुशी हो, या वियोग की उदासी हो, गुलज़ार इसे संवेदनशीलता के साथ व्यक्त करते हैं, जो पाठकों के दिलों को छूती है। उदाहरण के लिए, एक प्रसिद्ध गुलज़ार शायरी है:

“तू जो पास हो, तो हर लम्हा सुखद लगता है, तू जो दूर हो, तो हर लम्हा तकलीफ देता है।”

    • सामाजिक टिप्पणी: उनकी कविता व्यक्तिगत भावनाओं के अलावा सामाजिक मुद्दों पर भी बात करती है। वे समाज के बदलते परिदृश्य, अन्याय और सामाजिक मानदंडों पर विचार करते हैं, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है।
    • पुरानी यादें और भावनात्मक जुड़ाव: गुलज़ार की शायरी (Gulzar ki Shayari) में अतीत की यादें और भावनात्मक जुड़ाव एक महत्वपूर्ण विषय हैं। उनकी कविताएँ पुराने दिनों और खोए हुए क्षणों की खूबसूरती को प्रकट करती हैं। एक उदाहरण के रूप में, गुलज़ार की एक और शायरी है:

“कुछ लोग प्यार में खोए रहते हैं, कुछ लोग प्यार की याद में जीते हैं।”

    • दार्शनिक विचार: गुलज़ार अक्सर जीवन, समय और रिश्तों पर दार्शनिक विचार प्रस्तुत करते हैं। उनकी शायरी पाठकों को गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करती है।

Importance of Gulzar’s poetry

    • भावनात्मक राहत: गुलज़ार की कविता पढ़ने से बहुतों को भावनात्मक राहत मिलती है। उनकी भावनाओं को सरलता से व्यक्त करने की कला पाठकों को अपने खुद के अनुभवों को समझने और सांत्वना प्राप्त करने में मदद करती है।
    • साहित्यिक सौंदर्य: उनकी भाषा और काव्यशास्त्र की महारत उनकी शायरी को सौंदर्यपूर्ण बनाती है। उपमा, चित्रण और लय का उपयोग पढ़ने के अनुभव को और भी आनंददायक बनाता है।
    • सांस्कृतिक संबंध: गुलज़ार की शायरी (Shayari Gulzar) भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी होती है। उनके सांस्कृतिक संदर्भ और क्षेत्रीय भाषाएँ पाठकों को उनके सांस्कृतिक विरासत के करीब लाती हैं।
    • बौद्धिक सोच: गुलज़ार की कविता की दार्शनिक और चिंतनशील प्रकृति पाठकों को बौद्धिक रूप से प्रेरित करती है। उनके विचार-प्रेरक विषय सोचने की प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं।
    • वैश्विक अपील: भारतीय संस्कृति में गहरे होने के बावजूद, गुलज़ार की शायरी (Gulzar Sahab Shayari) के विषय सार्वभौम होते हैं। प्रेम, हानि, यादें और चिंतन ऐसे अनुभव हैं जिन्हें लोग पूरी दुनिया में साझा करते हैं, जिससे उनकी कविता वैश्विक स्तर पर भी अपील करती है।

Specialty of Gulzar Shayari

    • सरलता और गहराई: गुलज़ार की शायरी की खास बात उसकी सरलता है। वे साधारण भाषा में गहरे विचारों को व्यक्त करते हैं, जिससे उनकी कविता सभी के लिए सुलभ और प्रभावी बनती है।
    • दृश्यात्मक चित्रण: उनकी फिल्म निर्माण की पृष्ठभूमि उनकी कविता में भी दिखती है। वे शब्दों से जीवंत चित्र बनाते हैं, जिससे पाठक उन्हें महसूस और देख सकते हैं।
    • भावनात्मक सच्चाई: गुलज़ार की कविता उनकी भावनात्मक सच्चाई के लिए जानी जाती है। वे दिल से लिखते हैं, और यह ईमानदारी हर पंक्ति में झलकती है।
    • सदा प्रासंगिकता: समय के बदलाव के बावजूद, गुलज़ार की शायरी हमेशा प्रासंगिक रहती है। उनकी भावनाओं और सामाजिक मुद्दों की खोज समय की सीमाओं को पार करती है।
    • प्रेरणा और आशा: गुलज़ार की शायरी अक्सर आशा और सहनशीलता का संदेश देती है। उनके शब्द पाठकों को जीवन के सुंदर पलों को पहचानने और चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुलज़ार की शायरी (Gulzar Shayari) भावनात्मक गहराई, सांस्कृतिक समृद्धि और बौद्धिक उत्तेजना का अनूठा मिश्रण है। यह पाठकों को सरलता और गहराई का अनोखा अनुभव प्रदान करती है, जिससे यह पढ़ने में आनंददायक और प्रभावी बनती है। चाहे आप भावनात्मक राहत, सांस्कृतिक संबंध या बौद्धिक संलिप्तता की तलाश में हों, गुलज़ार की कविता सब कुछ देती है।

गुलज़ार की शायरी पढ़ना केवल साहित्यिक सराहना नहीं है; यह मानव आत्मा की एक यात्रा है। उनके शब्द हमें उपचार, प्रेरणा और परिवर्तन की शक्ति प्रदान करते हैं। एक अराजक दुनिया में, गुलज़ार की कविता हमारी साझा मानवता और भावनाओं की सुंदरता की याद दिलाती है। यही उनकी शायरी की वैश्विक अपील और गहरा प्रभाव है, जो इसे समकालीन साहित्य का एक अनिवार्य हिस्सा बनाता है।

कुछ लोकप्रिय गुलज़ार शायरियाँ

किसने रास्ते में चांद रखा था,

किसने रास्ते में चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।
आंख तो भर आई थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गई कैसे।।

– गुलज़ार शायरी

 

नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है,
नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है,

नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है,
नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है,
बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं,
बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।

– गुलज़ार शायरी

 

बीच आसमां में था बात करते-करते ही,

बीच आसमां में था बात करते-करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लंबी सांस मत लिया करो।।

– गुलज़ार शायरी

 

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है!!

– गुलज़ार शायरी

 

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की!!

– गुलज़ार शायरी

 

फिर वहीं लौट के जाना होगा

फिर वहीं लौट के जाना होगा
यार ने कैसी रिहाई दी है!!

– गुलज़ार शायरी

 

ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है

ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
दर्द दिल का लिबास होता है!!

– गुलज़ार शायरी

 

जिस जगह जाकर कोई वापस नहीं आता

जिस जगह जाकर कोई वापस नहीं आता
जाने क्यों आज वहां जाने को जी चाहता है!!

– गुलज़ार शायरी

 

हमारी ताक़त है कि हम कमज़ोर मानते हैं ख़ुद को...

हमारी ताक़त है कि हम कमज़ोर मानते हैं ख़ुद को…
वरना तो इस जहाँ में ताक़तवर कोई पैदा नहीं हुआ…!!

– गुलज़ार शायरी

 

कुछ अलग है उसके शहर की बातें...

कुछ अलग है उसके शहर की बातें…
हमारा उस शहर में अब मन ही नहीं लगता…!!

– गुलज़ार शायरी

 

बहुत कम लोग बादलों के सफ़र से ज़िंदा लौट पाते हैं...

बहुत कम लोग बादलों के सफ़र से ज़िंदा लौट पाते हैं…
क्या तुम्हें लगता है तुम यहीं रहने वाले हो हमेशा के लिए…!!

– गुलज़ार शायरी

 

ख़रीद लिए जाते हैं शहर में आजकल सब कुछ...

ख़रीद लिए जाते हैं शहर में आजकल सब कुछ…
गांवों में अब भी कुछ चीजें बिकाऊ नहीं हैं…!!

– गुलज़ार शायरी

 

मयख़ानों को इतना बुरा भी न कहिए...

मयख़ानों को इतना बुरा भी न कहिए…
हुकूमतें चलती हैं इसी के रुपयों से…!!

– गुलज़ार शायरी

 

उसी बात पर शक की बात शुरू हुई...

उसी बात पर शक की बात शुरू हुई…
जहाँ आखिर में जाकर वही बात सच हुई…!!

– गुलज़ार शायरी

 

इन उम्र से लंबी सड़कों को मंज़िल पे पहुँचते देखा नहीं

इन उम्र से लंबी सड़कों को मंज़िल पे पहुँचते देखा नहीं
बस दौड़ती फिरती रहती हैं हमने तो ठहरते देखा नहीं!!

– गुलज़ार शायरी

 

ताक़त दिखती नहीं ऐसे भी और वैसे भी...

ताक़त दिखती नहीं ऐसे भी और वैसे भी…
बस बीत जाए वक़्त तो सब ख़ैरियत ही थी…!!

– गुलज़ार शायरी

 

बाढ़ में गिना की कितने लोग चल बसे...

बाढ़ में गिना की कितने लोग चल बसे…
अनगिनत वो भी गए जो गिनती में नहीं थे…!!

– गुलज़ार शायरी

 

एक हम भी उनमें शामिल हैं कोई अलग थोड़ी हैं...

एक हम भी उनमें शामिल हैं कोई अलग थोड़ी हैं…
अपनीं बात साबित करने में नज़रों से जो उतरने लगते हैं…!!

– गुलज़ार शायरी

 

हज़ार बर्फ़ गिरे लाख आँधियाँ उठें...

हज़ार बर्फ़ गिरे लाख आँधियाँ उठें…
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं…!!

– गुलज़ार शायरी

 

बिना वजह भी बातचीत होती है लेकिन...

बिना वजह भी बातचीत होती है लेकिन…
दूसरे शख़्स से ताल्लुक़ अच्छे होने चाहिए…!!

– गुलज़ार शायरी

 

मैं चलते-चलते क़रीब आ गया अगर...

मैं चलते-चलते क़रीब आ गया अगर…
तो बता देना कि तुम अब भी वही हो…!!

– गुलज़ार शायरी

 

मैंने दूर तक की अनगिनत बात सोच रखी थी...

मैंने दूर तक की अनगिनत बात सोच रखी थी…
एक उदास सी शाम ने मुझे आईना दिखा दिया…!!

– गुलज़ार शायरी

 

अकेले अकेले ही निकली रोशनी की किरणें...

अकेले अकेले ही निकली रोशनी की किरणें…
पर एकदम से जैसे अंधेरा ही मर गया…!!

– गुलज़ार शायरी

 

डर जाना चाहिए था अंधेरी रात थी

डर जाना चाहिए था अंधेरी रात थी… मगर
हमने सारी रात नशे में जगकर गुज़ार दी…!!

– गुलज़ार शायरी

 

मैं साँझ समझ कर ख़ुद को बुझाने में लग गया...

मैं साँझ समझ कर ख़ुद को बुझाने में लग गया…
अनजान था दिए को दीपक समझ कर बुझ जाने पर रो पड़ा…!!

– गुलज़ार शायरी

 

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