Gulzar Sad Shayari

गुलज़ार साहब की शायरी में दर्द और विरह की एक जीवंत तस्वीर उभर कर सामने आती है, जो हर दिल में अनोखा एहसास जगाने में सक्षम होती है। उनकी Gulzar Sad Shayari in Hindi में ज़िंदगी की अनकही दास्ताँ और उन पलों का इज़हार मिलता है, जिन्हें अक्सर शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है। उनके अल्फ़ाज़ में दर्द की गहराई और तन्हाई का सुकून इस कदर समाहित है कि हर पाठक खुद को उन भावनाओं से जुड़ा हुआ महसूस करता है।

गुलज़ार साहब की शायरी न केवल गहरी संवेदनाओं को उजागर करती है, बल्कि हर दर्द के पीछे छुपी हुई कहानी को भी बयान करती है। sad shayari gulzar के ज़रिए उनके शब्द जीवन के संघर्षों और विरह के अनुभवों को नई रोशनी में पेश करते हैं। उनकी gulzar sad shayari hindi में सरलता और प्रभावशीलता का अनूठा संगम देखने को मिलता है, जो हर दिल को छू जाता है।

नीचे दी गई कुछ पंक्तियाँ गुलज़ार साहब की अनूठी शैली की झलक पेश करती हैं:

आँखों के दरिया में जब तूफ़ान उठते हैं,
हर लम्हा कुछ पुरानी यादों में खो जाता है।

ये पंक्तियाँ हमें याद दिलाती हैं कि gulzar sad shayari के माध्यम से वे हमारे अंदर के दबे हुए दर्द को इस कदर उजागर कर देते हैं कि हर शब्द में एक नई कहानी बस जाती है। gulzar ki sad shayari में निहित प्यार, उम्मीद और जीने की चाह हमें जीवन के उन पहलुओं से रूबरू कराती है, जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।

जब हम sad shayari by gulzar या gulzar sahab sad shayari की बात करते हैं, तो हमें उनके शब्दों में छिपी गहराई और संवेदनशीलता का एहसास होता है। अंततः, gulzar ki sad shayari in hindi हमें याद दिलाती है कि हर दर्द के पीछे एक सुंदर कहानी छिपी होती है, जिसे समझने के लिए बस एक नई नज़र की ज़रूरत होती है, और यही उनकी शायरी का सबसे बड़ा संदेश है।

मुझे छोड़ कर जाने वाले थोड़ा तो रहम कर जाते

मुझे छोड़ कर जाने वाले
थोड़ा तो रहम कर जाते,
मेरे जिंदा रहने के लिए थोड़ी
सांस तो छोड़ जाते।

 

जब से लोग वफाओं की बातें करने लगे हैं,

जब से लोग वफाओं की बातें करने लगे हैं,
मैंने महफ़िलों में जाना ही छोड़ दिया है।

 

कंकड़ से माथे पर चोट लगी तो दर्द हुआ,

कंकड़ से माथे पर चोट लगी तो दर्द हुआ,
मगर रो न सका, क्योंकि उसने
कहा था कि ये दिल का पैग़ाम है।

 

उनका कहना सही है कि मेरा कुछ नहीं होगा,

उनका कहना सही है कि मेरा कुछ नहीं होगा,
ख्वाब मेरे हैं, तो यकीन भी, मुझी को होना चाहिए।

 

शायद नतीजा-ए-दिल्लगी पहले से मालूम था

शायद नतीजा-ए-दिल्लगी
पहले से मालूम था,
वरना कोई यूं ही शेर-ओ-
शायरी नहीं करता।

 

रोने की भी पाबंदी है, और आंसू रोकना भी मुश्किल लग रहा है।

रोने की भी पाबंदी है,
और आंसू रोकना भी
मुश्किल लग रहा है।

 

उनका लहज़ा ही ऐसा था कि नज़रअंदाज़ करना पड़ा,

उनका लहज़ा ही ऐसा था कि
नज़रअंदाज़ करना पड़ा,
वरना ये आदत तो हम में
बिल्कुल नहीं थी।

 

चमकते कांच के टुकड़े भी चुभते हैं टूट जाने पर

चमकते कांच के टुकड़े भी
चुभते हैं टूट जाने पर,
हम तो बुरे लोग हैं, याद तो
आएंगे ही।

 

इश्क़ और वफ़ा का ये कैसा रिश्ता है, पूरी उम्र में चार शिकायतें भी न हो पाई।

इश्क़ और वफ़ा का ये कैसा रिश्ता है,
पूरी उम्र में चार शिकायतें भी न हो पाई।

 

छोटा सा साया था जो आँखों में आया था,

छोटा सा साया था जो आँखों
में आया था,
दो बूंदों में ही हमने अपना
दिल भर लिया।

 

आपके बाद भी हर घड़ी हमने, आपके साथ ही गुज़ारी है।

आपके बाद भी हर घड़ी हमने,
आपके साथ ही गुज़ारी है।

 

वो मुझे छोड़कर खुश हैं, अब मैं उन्हें खुश न देखूं, तो मोहब्बत कैसी?

वो मुझे छोड़कर खुश हैं,
अब मैं उन्हें खुश न देखूं, तो मोहब्बत कैसी?

 

किस्मत में तेरा साथ नहीं था, वरना हर मंदिर-मस्जिद में तुझे मांगा था।

किस्मत में तेरा साथ नहीं था,
वरना हर मंदिर-मस्जिद में तुझे मांगा था।

 

अब उनकी बात ही नहीं होगी... मरे हुए जिस्मों की बात आखिर कितनी होगी?

अब उनकी बात ही नहीं होगी…

मरे हुए जिस्मों की बात आखिर कितनी होगी?

 

अगर रोने से यादें मिटतीं, तो हंसकर कोई ग़म नहीं छुपाता।

अगर रोने से यादें मिटतीं,

तो हंसकर कोई ग़म नहीं छुपाता।

 

अगर दिल गलत जगह लग जाए, तो एक न एक दिन उसे टूटना पड़ता है।

अगर दिल गलत जगह लग जाए,
तो एक न एक दिन उसे टूटना पड़ता है।

 

तू वही है, पहले फसाया, फिर हंसाया, फिर अपना बनाकर बहुत रुलाया।

तू वही है, पहले फसाया, फिर हंसाया,

फिर अपना बनाकर बहुत रुलाया।

 

मैंने तुझे तेरी खुशी के लिए छोड़ा है, जा मुझे बुरा समझ, मुझसे अच्छा ढूंढ ले।

मैंने तुझे तेरी खुशी के लिए छोड़ा है,

जा मुझे बुरा समझ, मुझसे अच्छा ढूंढ ले।

 

वफादार लड़कियाँ वक्त मांगती हैं, दौलत नहीं।

वफादार लड़कियाँ वक्त

मांगती हैं, दौलत नहीं।

 

"तुमने ठीक कहा कि मुझे मिलना नहीं चाहिए, मगर ये बताओ कि तुम उदास क्यों हो?"

“तुमने ठीक कहा कि मुझे मिलना नहीं चाहिए,

मगर ये बताओ कि तुम उदास क्यों हो?”

 

शायर बनना बहुत आसान है, बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।

शायर बनना बहुत आसान है,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।

 

किसी ने मेरी ज़िंदगी की कीमत पूछी, और मुझे तेरी हल्की सी मुस्कराहट याद आ गई।

किसी ने मेरी ज़िंदगी की कीमत पूछी,

और मुझे तेरी हल्की सी मुस्कराहट याद आ गई।

 

आज भी तेरे उतारे हुए दिन पहनता हूँ, तेरी खुशबू में कई रोज़ काट देता हूँ।

आज भी तेरे उतारे हुए दिन पहनता हूँ,

तेरी खुशबू में कई रोज़ काट देता हूँ।

 

कितनी लम्बी खामोशी से गुज़रा हूँ, उनसे कितना कुछ कहने की कोशिश की।

कितनी लम्बी खामोशी से गुज़रा हूँ,

उनसे कितना कुछ कहने की कोशिश की।

 

इतने सारे शब्दों में क्यों मुझे चुनते हो, एक ख्याल दफनाने में इतनी ईंटें क्यों लगती हैं?

इतने सारे शब्दों में क्यों मुझे चुनते हो,

एक ख्याल दफनाने में इतनी ईंटें क्यों लगती हैं?

 

आज दिल कर रहा है सारी खामोशियों को मिटा दूँ, जो भी अंदर छिपा रखा है, सब कुछ लूटा दूँ।

आज दिल कर रहा है सारी खामोशियों को मिटा दूँ,
जो भी अंदर छिपा रखा है, सब कुछ लूटा दूँ।

 

ज़िंदगी पर किसी का ज़ोर नहीं, और दिल ने हर चीज़ पराई समझ ली।

ज़िंदगी पर किसी का ज़ोर नहीं,
और दिल ने हर चीज़ पराई समझ ली।

 

आँखों के आंसुओं ने आग का पता दिया, चेहरे फेरने से धुआँ नहीं छिपता।

आँखों के आंसुओं ने आग का पता दिया,
चेहरे फेरने से धुआँ नहीं छिपता।

 

तुम्हारे जाने से कुछ बदला नहीं, रात आई और चाँद भी था, बस नींद नहीं थी।

तुम्हारे जाने से कुछ बदला नहीं,
रात आई और चाँद भी था, बस नींद नहीं थी।

 

तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा लटक रहा है, बेबसी की छत के नीचे कोई किसी को भूल रहा है।

तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा लटक रहा है,
बेबसी की छत के नीचे कोई किसी को भूल रहा है।

 

हाथ छूट भी जाए, रिश्ते नहीं छोड़े जाते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़े जाते।

हाथ छूट भी जाए, रिश्ते नहीं छोड़े जाते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़े जाते।

 

मैं किसी तीसरे से तुम्हारा जिक्र नहीं करता, बस खुदा से ही तुम्हारी बातें करता हूँ।

मैं किसी तीसरे से तुम्हारा जिक्र नहीं करता,
बस खुदा से ही तुम्हारी बातें करता हूँ।

 

तमाशा करना मेरे नसीब में नहीं था, बहुत कुछ जानकर भी हमने खामोशी ओढ़ ली।

तमाशा करना मेरे नसीब में नहीं था,
बहुत कुछ जानकर भी हमने खामोशी ओढ़ ली।

 

खुदकुशी हराम है साहब, मेरी मानो तो इश्क़ कर लो।

खुदकुशी हराम है साहब,
मेरी मानो तो इश्क़ कर लो।

 

दर्द हल्का है पर सांसें भारी हैं, जीने की रस्म अभी जारी है।

दर्द हल्का है पर सांसें भारी हैं,
जीने की रस्म अभी जारी है।

 

कभी ज़िंदगी एक पल में गुज़र जाती है, और कभी ज़िंदगी का एक पल नहीं गुज़रता।

कभी ज़िंदगी एक पल में गुज़र जाती है,
और कभी ज़िंदगी का एक पल नहीं गुज़रता।

 

दिल रोज़ कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए, फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए?

दिल रोज़ कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए?

 

तुझसे बिछड़कर उतनी तकलीफ नहीं हुई, जितनी हुई ये जानकर कि तुम अब किसी और के हो।

तुझसे बिछड़कर उतनी तकलीफ नहीं हुई,
जितनी हुई ये जानकर कि तुम अब किसी और के हो।

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